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सप्ताह का प्रादर्श-EXHIBIT OF THE WEEK-174

सप्ताह का प्रादर्श-174
(
28 सितम्बर से 04 अक्टूबर 2023 तक)
 देवी पूजा बलि
भील जनजाति द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानिक चित्रकारी

यह पेंटिंग फाल्गुन मास में देवी माता के मंदिर में भील जनजाति द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठानिक दृश्य को दर्शाती है। माघ के बाद आने वाले फाल्गुन मास में होली का त्योहार भीलों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वे जंगल से सागौन के पेड़ की लकड़ी लाकर उस विशिष्ट स्थान पर स्थापित करते हैं जहां वे एक अनुष्ठान के रूप में होली जलाते हैं। सभी ग्राम वासी लकड़ियाँ लाते हैं और मध्य में रखे लकड़ी के टुकड़े के चारों ओर ढेर के रूप में रख देते हैं। सभी स्त्री पुरुष इसके चारों ओर ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं। वे देवी माता को कुमकुम और चावल लगाकर प्रसाद अर्पित करते हैं। अगले दिन वे ग्राम वासियों से धनराशि, जिसे फगवा कहा जाता है, इकट्ठा करते हैं और मुर्गे की बलि चढाने के बाद भोज का आयोजन करते हैं।

यह पेंटिंग प्रसिद्ध भील कलाकार श्रीमती भूरी बाई जोर सिंह द्वारा कैनवास पर बनाई गई है। उन्होंने एक ओटले पर देवी माता की आकृति को एक काले पत्थर के रूप में चित्रित किया है और एक आदमी को ओटले पर बलि चढ़ाए गए मुर्गे का खून अर्पित करते हुए दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें प्राकृतिक दृश्यों और ग्रामीण जीवन का भी चित्रण किया गया है।

आरोहण क्रमांक- 2002-130
स्थानीय नाम – देवी पूजा बलि
समुदाय- भील
स्थान- झाबुआ, मध्य प्रदेश

Exhibit of the week- 174
(28th September to 04th October 2023)
Devi Pooja Bali

A Ritual Painting done by Bhil tribe

This painting illustrates the ritual scene performed by the Bhil community at the shrine of Devi Mata during the month of Phalgun. The Hindu month of Phalgun comes after the Magh in which the festival of Holi is celebrated. Among the Bhils it is celebrated with joy and happiness. They fetch a wooden log of a Teak tree from the jungle and fix it at the specific place where they have been burning the Holi as a ritual. All villagers bring sticks and pile them around the central log. Both male and female dance around the pile on the beats of the drum. They mark Kumkum and rice with offerings to the devi Mata. On the next day they collect money from the villagers, it is called Fagwa and arrange a feast after sacrificing a cock.

This painting is created on canvas by famous Bhil artist Smt. Bhuri Bai Jor Singh. She has portrayed the figure of devi Mata in the form of a black stone on an Otla and a man is shown pouring blood of a sacrificed cock over the Otla. In addition to this scenes from nature and village life are also portrayed.

Acc. no.- 2002-130
Local name – Devi Pooja Bali
Community- Bhil
Locality – Jhabua, Madhya Pradesh

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