सप्ताह का प्रादर्श-173
(21 से 27 सितम्बर 2023 तक)
जिरोती
निमाड़ की एक पारंपरिक चित्रकला
जिरोती मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की एक पारंपरिक कला है। यह जिरोती अमावस्या या हरियाली अमावस्या के अवसर पर घर की महिलाओं द्वारा दीवारों पर बनाई जाती है। हरियाली अमावस्या को वर्षा ऋतु के दौरान, जब प्रकृति अपने पूरे निखार पर होती है, चंद्र उत्सव के रूप में मनाया जाता है। घर की दीवारों पर निमाड़ी चित्रकारी केवल एक कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं है, अपितु इसमें कुछ अनुष्ठान और उत्सव से संबंधित लोक गीत भी गाए जाते हैं। जिरोती चित्रों की बाहरी रूपरेखा सात दिन पहले तैयार की जाती है। घर के मध्य स्थित मुख्य दरवाजे को दोनों तरफ गोबर और मिट्टी से लीपा जाता है। निमाड़ में इसे ‘कवला पोतानू’ कहा जाता है। दोनों कवलों पर लेप करने के बाद विभिन्न रंग लगाए जाते हैं। सर्वप्रथम गाय के गोबर से लीपी हुई सतह पर गेरू से एक लाल परत तैयार की जाती है। इसके लिए कोई निश्चित पैमाने उपयोग नहीं किया जाता।
लाल गेरूए फ्रेम में हल्दी पीले रंग से चार रेखाओं वाला एक फ्रेम ‘चार सारी’ बनाया जाता है जिसे विभिन्न रंगों और ज्यामितीय रूपांकनों से आकर्षक बनाया जाता है। इसके पश्चात फ्रेम के मध्य में इस त्योहार के इष्टदेव और आदि शक्ति देवी ‘जिरोती’ की दो, तीन या पांच खड़ी आकृतियाँ बनाई जाती हैं। देवी जिरोती की मूर्तियों के सम्मान में पैरों के नीचे सिंहासन जैसा एक पालना बनाया जाता है। निमाड़ में जिरोती, बच्चों को रोगों और दुखों से बचाने वाली देवी के रूप में भी पूजी जाती हैं, इसलिए प्रत्येक आकृति के साथ एक बच्चे को भी दर्शाया गया है। जिरोती भित्ति चित्र रसोई से लेकर सुंदर आभूषणों तक पारिवारिक जीवन के विभिन्न पक्षों की कलात्मक अभिव्यक्ति हैं। एक कोने में एक गाय, पानी लाती एवं छाछ बिलोती महिलाएं, छोटे बच्चे एवं पशु पक्षी चित्रित किए गए हैं। चंद्रमा और सूर्य को अमरत्व के प्रतीक स्वरूप बनाया गया है। जिरोती निमाड़ की महिलाओं का सबसे लोकप्रिय त्योहार है क्योंकि यह त्योहारों के प्रारंभ का प्रतीक है। जिरोती के बाद नागपंचमी, राखी, संझाफुली, दशहरा, दिवाली जैसे लगातार त्योहारों की झड़ी लग जाती है।
आरोहण क्रमांक.- 2008.726
स्थानीय नाम – जिरोती, निमाड़ की एक पारंपरिक चित्रकला
समुदाय – लोक
स्थान – मध्य प्रदेश
Exhibit of the week- 173
(21st to 27th September 2023)
JIROTI
A traditional art of Nimad
Jiroti is a traditional art of Nimad region in Madhya Pradesh. It is a wall painting drawn on the occasion of Jiroti Amavasya or Hariyali Amavasya by women of the house. ‘Amavasya’ means ‘no moon day’ and ‘Hariyali’ means ‘greenery,’ that is why Hariyali Amavasya is observed as a moon festival during the rainy season when nature blossoms at its full. Creating a Nimadi painting on the walls of a house is not simply an artistic expression, it is accompanied by certain rituals and the singing of folk songs specific to the occasion. The outline of Jiroti’s drawing is made seven days in advance. The central door of the house (in the middle of the house) is plastered with cow dung and soil on both sides. In Nimad it is called ‘Kavala Potanu’. After coating both the ‘Kavals’, different colors are applied. First of all, a red panel is prepared with ocher on a background smeared with cow dung. No fixed scale is used for this.
‘Char Sari’ i.e. a frame with four lines is made with turmeric yellow color in the red ochre frame. Which is beautifully decorated with different colors and geometric designs. Then, two, three or five standing figures of the presiding deity of this festival and Adi Shakti Devi ‘Jiroti’ are made in the middle of the frame. To honor the idols of Goddess Jiroti, a throne-like cradle is made under the feet. Jiroti is also revered in Nimad as the goddess who protects children from diseases and sorrows. Therefore, a child is also depicted along with each figure. Jiroti murals are an artistic expression of family life, ranging from the kitchen to beautiful jewellery. A cow is made in the other corner, ladies carrying water, churning butter milk, small children, birds and animals are depicted. The moon and sun are made as symbols of immortality. Jiroti is the most favourite festival of the women of Nimad as it marks the beginning of festivals. After Jiroti, there is a flurry of festivals like Nagpanchami, Rakhi, Sanjhaphuli, Dussehra, Diwali one after the other.
Acc.no.- 2008.726
Local Name – Jiroti, A traditional art of Nimad
Community – Folk
Locality – Madhya Pradesh
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