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केरल के पुनीत वन – Sacred groves of Kerala

पवित्र वनम/कावु – केरल के पुनीत वन

केरल राज्य में अनेक कावु पुनीत वन स्थित हैं। केरल के बहु-जीव प्रबंध तंत्र में कावु की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां 2000 से अधिक संरक्षित पुनीत वन हैं जिनकी देखभाल व्यक्ति विशेष के साथ साथ देवास्वामी पुनीत ट्रस्ट द्वारा की जाती है। पूर्व में अय्यप्पा देव को समर्पित अैय्यप्पन कावु पुनीत वन केरल में सबसे ज्यादा थे। उत्तरी केरल में ज्यादातर यह पुनीत वन देवी या पूर्वजों की आत्माओं से संबंधित हैं (अम्मा, अयलक्षी, अयीरावली, भगवती दुर्गा महिषासुर मर्दिनी, वन-दुर्गा, वन-देवता, मारूथा, मदन, चक्षी, गंधर्वन, योगेष्वरन, मुथप्पन आदि) जबकि दक्षिण केरल में ये ज्यादातर सर्प पूजा से संबंधित हैं (नागम, नागराजा, नागिनी, सर्पम)। कावु में संपन्न होने वाले अनुष्ठान, समुदाय विशेष तथा कावु के संरक्षक देवता के आधार पर भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। दक्षिण केरल में 10 या 12 वर्ष में एक बार सर्पदेव को प्रसन्न करने के लिये सर्पम पट्ठ का अनुष्ठान पाठ किया जाता है। उत्तरी केरल में देवी को समर्पित कावु में आनुष्ठानिक नृत्य तैय्यम या तैय्याट्टम किया जाता है।

केरल के पुनीत वन – कावु की प्रतिष्ठा संग्रहालय द्वारा मुक्ताकाश तटीय गांव प्रदर्शनी में 26 सितम्बर, 1999 को कोजीकोड (कालीकट) की किरताड्स(KIRTADS) संस्था के संयुक्त तत्वावधान में की गई है। इस अवसर पर कावु से जुड़ी विरल पेड़-पौधों की प्रजातियों के अतिरिक्त सर्पदेव की पूजा को समर्पित स्थान नाग-थाटा की प्रतिष्ठा भी की गई है।

Pavithra Vanam’/‘Kaavu’ –Sacred groves of Kerala

‘Kaavu’ are numerous throughout the length and breadth of Kerala. These sacred groves perform a unique role in bio-diversity management in Kerala. There are over 2000 well preserved sacred groves, managed by private individuals and Devaswami Trusts in Kerala. There are many myths, legends and faiths, associated with the sacred groves of Kerala. ‘Ayyappan Kaavu’, the sacred groves dedicated to Lord Ayyappa, used to be the most common ‘in Kerala in the past. The sacred groves in North Kerala are mostly associated with goddesses or ancestral spirits (Amma, Ayalakshi, Ayiravalli, Bhagavati, Durga, Mahishasur Mardini, Vana Durga, Vanadevatha, Marutha, Madan, Yakshi, Gandharvan, Yogeswaran, Muthappan etc.), while in south Kerala, these are generally associated with snake worship (Nagam, Nagaraja, Nagini, Sarpam). The rituals and rites, performed in the sacred groves, vary with the regional caste and patron deity of the sacred grove. A ritualistic recitation called ‘Sarpam Pattu’ is performed in central and south Kerala, once every 10 or 12 years, to propitiate the snake gods. In the sacred groves, associated with Goddesses in North Kerala, a ritual dance called ‘Theyyam’ or ‘Theyyattam’ is performed. The Kaavu has been installed along with a prototype of the Nagathara shrine.

Pavithra Vanam’/‘Kaavu’ was installed in the open air exhibition area of this museum on 26 of January, 1999, in collaborations of KIRTADS of Kozhikode and Indira Gandhi Rashtriya Manav Sangrahalaya, Bhopal. On this occasion, rare tree saplings associated with this sacred grove were also planted with great care.