मिर्धाबाड़ी: ओडिसा से मछुआरों का एक आवास
ओडिसा के गंजाम जिले में निवासरत मछुआरों के मकान का फर्श जमीन से थोड़ा उठाकर बनाया जाता है। दीवार बनाने के लिये केजुराइना की शाखाये लकड़ी के खम्बों पर एक निश्चित अंतराल में मजबूती से बांधी जाती हैं। छत लकड़ी के खम्बों तथा बांस पर घास-फूस से छाजन कर बनाई जाती है। दीवार के दोनों ओर मिट्टी से छपाई की जाती है। बरामदा तथा फर्श को मिट्टी एवं गोबर से लीपा जाता है।
इस घर के तीन भाग हैं– बरामदा, बड़ा घर और भीतर घर। जिसमें बड़ा घर का प्रयोग शयन तथा घरेलू सामग्री रखने के लिए किया जाता है। भीतर घर में रसोई है तथा वर्षा के दिनों में इसका उपयोग शयन कक्ष के रूप में भी किया जाता है। खाना बनाने के लिए अधिकतर मकान के पिछले हिस्से में खुले स्थान को प्रयुक्त किया जाता है।
प्रवेश द्वार के पास ही एक खिड़की बनी है। छत की औसतन ऊंचाई लगभग 12 फीट है। घर को इस तरह से बनाया गया है कि तेज हवाओं में भी यह सुरक्षित रह सके। लकड़ी का पलंग परिवार की समृद्धि तथा प्रतिष्ठा का प्रतीक है। परिवार के दैनिक उपयोग की वस्तुओं में विविधता स्पष्ट दिखाई देती है।
Mirdhabari: A fisherman house from Odisha
The houses of fishermen residing in Ganjam district of Odisha are made on slightly raised platform. The wall is made of casuarina’s branches with the reinforcement of wooden poles at a fixed interval. The roof is made by covering the wooden poles and bamboo with thatch. Both sides of the wall are plastered with clay. The verandah and the floor are smeared with mud and cow dung.
This house comprises of three parts – Verandah, Bara Ghar (the bigger room) and Bheetar Ghar (the inner room). Bheetar Ghar is served as kitchen while the Bara Ghar is used for sleeping and keeping household items. The open space in the backyard is used for cooking during most of the year.
There is a window near the entrance. The average height of the ceiling is about 12 feet. The house is built in such a way that it could be protected from strong winds. The wooden bed in the home is a sign of richness and prestige. The variety is clearly visible in the items of daily use of the family.