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गदबा-Gadaba

जनजाति: गदबा

क्षेत्र: कोरापुट

जिला: उडीसा

संकलन वर्ष : 1980


                गदबा ओडिशा राज्य के दक्षिणी जिले कोरापुट के पर्वतों पर निवासरत है । साथ ही वे सीमा से लगते हुए आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम, पर्वत श्रखलाएं ऊँचाई में और छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भी पाये जाते है । यह पर्वतीय क्षेत्र समुद्री सतह से 1000 फीट से 3000 फीट तक होते है । इस गांव एक या दो मोहल्लों से मिलकर बने होते है, साथ ही इनके चारागाह सीमा की ओर जंगलों से घिरे रहते है । सभा हेतु ‘सदर’ और ग्राम देवता ‘हुंडी’ गांवों मे दो प्रमुख स्थान होते है । गदबा गांवों में तीन भिन्न प्रकार के आवास प्रकार पाये जाते है । प्रथम और सर्वाधिक पारंपरिक आवास प्रकार, जिसकी विशेषता उसका वृत्ताकार आधार एवं शंक्वाकार छप्पर होती है, ‘चेंडिडियन’ के नाम से जाना जाता है । द्वितीय आवास प्रकार जो कि चौकोर आधार तथा जिसके चारों ओर छप्पर से बने होते है, को ‘मोरडियन’ कहा जाता है । इस आवास प्रकार में एक दूसरे से लगे हुए दो से तीन कक्ष होते हैं । तीसरे प्रकार के आवास की छप्पर केवल दो ओर से ही होती है तथा इनमें दो ही कमरे होते है, जो की गौशाला से युक्त अथवा गौशाला रहित हो सकते है , इसे ‘डेंड्लडियन’ के नाम से जाना जाता है ।

                गदबा ओडिशा के उन आदिवासी समुदायों में से एक हैं, जिन्हें मुंडारी या कोलरियन भाषा समूह में वर्गीकृत किया गया है। मिशेल के अनुसार गदबा शब्द का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो अपने कंधो पर बोझा ढोने का कार्य करता है । गदबा लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों मे पालकी वाहक के रूप में भी जाना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि इनके पूर्वज गोदावरी नदी क्षेत्र से नंदपुर में आकार बस गए, जो कि जेपोर के राजा की पूर्व राजधानी थी । गदबाओं की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है इसके साथ ही वे लघु वनोपजों के संग्रह, शिकार, मछली पकड़ने और मजदूरी संबंधी कार्य भी करते है। महिलाएं कपड़े की एक लंबी पट्टी पहनती हैं, जिसे आमतौर पर ‘केरांग’ (केरांग के रेशों से तैयार) के रूप में जाना जाता है, जो कमर के चारो ओर बंधी होती है और इसी कपड़े का एक भाग शरीर के ऊपरी हिस्से तक पहना जाता है। बंदापामा परब, दसरा परब, पूशा परब और चैता परब इनके महत्वपूर्ण त्यौहार हैं । गदबा लोग इन त्योहारों को ध्‍यान, निष्‍ठा, भक्ति और भय के साथ मनाते है। गदबा अपने संगीत, नृत्य और पारंपरिक भोजन के शौकीन है। ये ‘ढेम्सा’ नृत्य के लिए प्रसिद्ध हैं जो महिलाओं द्वारा अपनी प्रसिद्ध ‘केरांग’ साड़ी पहन कर किया जाता है, इस दौरान पुरुष संगीत वाद्ययंत्र बजाते हैं । इनके संगीत वाद्ययंत्रों में बड़े ढोल, मुडीबाजा, मांदल, बांसुरी, तमक और माहुरी शामिल हैं । साल भर मनाए जाने वाले गीतों, नृत्य, संगीत, रीति-रिवाजों और त्योहारों की समृद्ध लोक परंपराओं के माध्यम से प्रतिबिंबित गदबाओ का धार्मिक जीवन उनके अस्तित्व में लिए रंगीन आयाम जोड़ता है।

Tribe: Gadaba

Area: Koraput

District: Orissa

Year of collection: 1988

                The Gadaba’s are inhabiting in Lamtaput, Simliguda, Pottangi blocks of Koraput distict, Malkangiri distict, Nawarangpur distict in the State of Odisha. They are also found in the adjoining district of Visakhapatnam (Andhra Pradesh) and Bastar in Chhattisgarh. The hill ranges of this region vary its height from 1000 ft. to 3000 ft. above the sea level. Their villages consist of one or two hamlets and pastures surrounded by forest towards the periphery. There are three different house types found among the villages of Gadabas. The first house type called Chhendi dien is the most traditional house type having a circular plan with the conical roof. The second house type called Mor dien/Mahad Dien is having rectangular plan with four slopped roof. The house consist of two to three adjacent rooms. The third type is a two-slopped house called Dendi dien/Dondul Dienhaving two rooms with or without separate cow shed. Thakurani is their supreme village diety represented by a stone and offered sacrifices by Disari. The shrine is called Hundi.

                The Gadabas are one of the tribal communities of Odisha classified as speakers of Mundari or Kolarian. According to Mitchell, the word Gadaba signifies a person who carries loads on his shoulders. The Gadabas were also employed as a palanquin bearers in the hills. It is said that their ancestors emigrated from the banks of Godavari River and settled in Nandapur, the former capital of the Raja of Jeypore. The economy of Gadabas is agriculture based which is supplemented by collection of minor forest produce, hunting, fishing and wage earning. The women folk wear long strip of cloth commonly known as Kerang (prepared from Kerang fiber) tied around the waist and a second portion of same cloth is worn across the torsso. The men wear loin cloth , the end flag haging down in front. The important festivals are Bandapama Parab, Dasara Parab, Pusha Parab and Chaita Parab. Gadabas celebrates this festival with care, sincerity, devotion and fear. Gadaba are fond of dance, music and ethnic food. They are famous for Dhemsha dance which is performed by women wearing their famous Kerang saris, the menfolk play musical instruments while women dance. Their musical instruments consist of big drums, Tal mudibaja, madal, flutes, tamak and mahuri. Gadabas religious life reflected through rich folk traditions of songs, dance, music, rituals and festivals celebrated round the year adds colorful dimensions to their existence.