इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का दक्षिण क्षेत्रीय केन्द
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का दक्षिण क्षेत्रीय केन्द्र,केन्द्रीय सरकार की पहल एवं कर्नाटक सरकार की गहनरूचि के परिणामस्वरूप मैसूर में प्रारंभ हुआ।राज्य सरकार ने वर्ष 2000 में मैसुरु(मैसूर) शहर के हृदय क्षेत्र में स्थित धरोहरभवनो में से एक ‘वेलिंगटनलाज ‘ को इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के क्षेत्रीय केन्द्र की स्थापना हेतु आवंटित किया। केन्द्र ने 2001 से संग्रहालयीन गतिविधियां आरंभ की।
क्षेत्रीय केन्द्र अन्तःक्रियात्मक शैक्षणिक कार्यक्रमों से संबद्ध सामुदायिक संग्रहालयों के आयोजन का मुख्य केन्द्र है। यह भारत के विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों /कारीगरों को, पारंपरिक ज्ञान पद्धतियों की सौन्दर्यात्मक कलाकृतियों, सृजनात्मक कलारूपों तथा शिल्प तकनीकों के प्रदर्शन के लिये मंच उपलब्ध कराताहै । क्षेत्रीय केन्द्र सांस्कृतिक पहचानों के विविध रूपों पर सामयिक प्रदर्शनियां, विविध पारंपरिक कलारूपों एवं तकनीकों को जानने के इच्छुक लोगों के लिये अल्पावधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम, संगीत नृत्य तथा लोक, जनजातीय एवं शास्त्रीय परंपराओं की रंगमंचीय प्रस्तुतियों का आयोजन करता है।
स्थिति
(इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का दक्षिण क्षेत्रीय केन्द्र)
‘वेलिंग्टन लाज’ (मैसूर)
मैसूर शहर के मध्य में इर्विन रोड पर स्थित वेलिंग्टन लाज 200 वर्षों से अस्तित्वमान प्राचीनतम तटस्थ संरचना है | शेर ए मैसूर टीपू सुल्तान के पतन के तुरंत बाद यह भवन ड्यूक ऑफ़ वेलिंग्टन जबकि वह मैसूर का राजनैतिक प्रभारी था, ने कब्ज़ा कर लिया था |
भवन का निर्माण पकी हुई ईंटो और चूना पत्थर के इस्तेमाल से किया गया है | भवन सहित स्थल का कुल क्षेत्रफल 1,13,365 वर्ग फीट है | आँगन का क्षेत्रफल 120 मीटर लम्बा 88 मीटर चौड़ा है |यह दो मंजिला इमारत एक विशेष संरचना है जो चारो और से देखी जा सकती है |
कर्नाटक सरकार कर्नाटक प्राचीन तथा ऐतिहासिक स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल अधिनियम 1961 के अंतर्गत 1991 में शासकीय सूचना क्र.आईटीवाय/केएमयूं/87 दिनांकित 29.9.1981 के अनुसार वेलिंग्टन लाज को एक राज्य संरक्षित स्मारक घोषित कर चुकी है |
सूचना स्तोत्र : डॉ.डी.वी.देवराज, भूतपूर्व निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय मैसूर
Southern Regional Centre Mysore
The Southern Regional Centre of IGRMS, at Maisuru (Mysore), is the outcome of initiatives of the central government and keen interest of the State Government of Karnataka. The State government has allotted, in the year 2000, one of its prestigious heritage buildings ‘Wellington Lodge’ situated in the heart of the Maisuru (Mysore) city, to establish the Regional Centre of IGRMS. It has started museum activities from 2001 onwards.
The Regional Centre is a hub for community – museum related interactive educational programmes. It provides platforms to various artists/artisan groups from different parts of India to demonstrate aesthetic beauties of their traditional knowledge systems, creative art forms and craft techniques. The Regional Centre organizes periodically exhibitions on various forms of cultural identities, conduct short – term training programme for aspiring people on various traditional art forms and techniques, and organizes varieties of music, dance and theatrical performances of fold, tribal, and classical traditions.
Wellinton Lodge (Mysore)
The Wellington Lodge, situated in the heart of Mysore city, on Irwin Road, is the oldest secular structure having been in existence for over 200 years. This building was earlier occupied by the Duke of Wellington, when he was in political charge of Mysore, during the years 1799-1801 A.D., soon after the fall of Tipu Sultan, the Tiger of Mysore.
The building is constructed using burnt brick in lime mortar. The total area of the site, including the building, is 1,13,365 sft. The area of the compound is 120 meters in length and 88 meters in breadth. The building is two-storied and is a special structure, viewed from all the four sides.
The Government of Karnataka has declared the Wellington Lodge as a State protected Monument in 1991, as per Govt. Notification No.ITY/KMU/87 dated 29.9.1981 under the provisions of the Karnataka Ancient and Historical Monuments and Archaeological Sites and Remains Act 1961.
Source of information: Dr. D.V. Devaraj, former Director, Archaeology & Museums, Mysore.