“खोली” (पारम्परिक आवास)
समुदाय -लोक समुदाय ( राजपूत )
ग्राम कोटुली जिला- अल्मोड़ा
राज्य – उत्तराखण्ड
संकलन वर्ष : 2016
उत्तराखण्ड के जिला अत्मोड़ा में स्थित जागेश्वर क्षेत्र विशाल देवदार, कैल व बुरांस के वनों से घिरा है । हिमाच्छादित पहाड़ो के बीच समुद्रतल से लगभग 1870 मी० की उँचाई पर बसा यह क्षेत्र बहुरंगी संकृति को अपने आँचल में संजोय हुए हैं, या यूँ कहे कि वास्तव में अल्मोड़ा अपनी सांकृतिक विरासत , हस्तकला , खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संकृति के लिए प्रसिद्ध है । दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होते हुए इस क्षेत्र तक पहुंचने का सफर बहुत ही कठिन है , यहां के लोग बहुत ही सरल व सादगी से जीवन व्यतीत करते है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र की कुल आबादी 35,513 है।
पहाडी क्षेत्रों में निवास करने वाले इनके आवास प्रकार उपलब्ध प्रकृतिक संसाधनों जैसे पत्थर व लकड़ी के बने होते है, जिन्हें “खोली” के नाम से जाना जाता है । खोली जो कि दो मंजिला आवास है , इसके प्रथम तल मे गौशाला होती है जिसमें मवेशी गाय , भैस , बकरी जैसे पालतू पशु रहते है । जिसे ये लोग “ गोठ” कहते है तथा दूसरे तल को “भतेर” नाम से जाना जाता है जिसमें एक शयनकक्ष ( साख ) तथा एक रसोई (चूल्हा) बनी होती है।
आवास के मुख्य द्वार को ” खोली व दो बड़ी – बड़ी खिडकियो को ” दोदरी के नाम से जाना जाता है । इनके आवास में मधुमक्खी पालने का भी स्थान बना होता है । जिसे ये लोग ” मोम का जाला ‘ कहते है तथा छत की ऊपरी भाग के लकड़ी के बने तोड़े मे छिद्र बने होते है जो चिड़ियो के रहने के लिए घोंसला होता है जिसे ये लोग “घोल” कहते है तथा आवास की दीवालो व सीढियो पर चावल को पीसकर भित्ति चित्र बनाने की प्रथा है, जिसे ऐपण ” कहते है ।
यहाँ के लोग सीढ़ीदार कृषि के साथ – साथ फल उत्पादन का कार्य भी करते है । धान , गहूँ , ज्वार, बाजरा , राजमा इत्यादि के अलावे अखरोट , सेव , किवी जैसे फलो का उत्पादन भी करते है । परिवार की बढ़ोत्तरी होने पर भूमि की उपलब्धता के आधार पर आवास के दॉये या बाँये रहने के लिए आवास का विस्तार कर लिया जाता है ।
उत्तराखण्ड राज्य से इस पारम्परिक आवास प्रकार “खोली ” का संकलन माह फरवरी , 2016 में जिला अल्मोड़ा के ग्राम कोटुली से किया गया था तथा माह सितम्बर 2016 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल की मुक्ताकाश प्रदर्शनी हिमालय ग्राम में स्थापित किया गया तथा मध्यप्रदेश के तत्कालीन महामहिम राज्यपाल श्री ओ पी कोहली द्वारा उद्घाटन कर दर्शको के लिए खोला गया ।
KHOLI (A Traditional House)
Community: Rajput
Village: Kotuli
District: Almora
State: Uttrakhand
Year of collection: 2016
The Jageshwar region, located in the district Almora of Uttarakhand, is surrounded by forests of enormous cedar, cal, and burans. The region which is nestled amidst snow-capped mountains at an elevation of about 1870 feet above sea level is blessed with vibrant culture in its zenith, or in a real sense, Almora is famous for its natural heritage, handicrafts, culinary traditions, highland civilization, and culture. The journey to reach this area through inaccessible mountain roads is very difficult; people live a simple life in this serene land. According to the 2011 census, the total population of this region is 35,513.
The house types in this hilly terrain are generally made up of available natural resources such as stone and wood, which is known as Kholi. This two-storied house has a cowshed (gaushala) on the lower floor to keep the livestock like cattle, cow, buffalo, and they called it Goth while the upper floor is known as “Bhater” consisting of a bedroom (Saakh) and a kitchen with a traditional hearth.
The main door and two large windows of the house are known as Dodari. They also reserve a space for the Beekeeping in their habitat, and they locally termed it “Mom Ka Jala” (the web of wax), and there are also holes made in the wooden top of the roof called ‘Ghol’ which is preferred to be the nest for the birds to live. As a traditional practice, they decorate the walls and steps of the house with clay art (Mitti Chitra) embodying with a paste of rice known as ‘Epad.’
The main occupation of the people here is terraced-cultivation, and they also engage in the production of fruits. Apart from paddy, wheat, jowar, millet, rajma, etc., they also produce fruits like walnuts, sev, kiwi, etc. When the number of family members increases, the house is extended to the right or left of the house, depending on the availability of land.
This traditional house-type “Kholi” from the state of Uttarakhand was collected in February 2016 from the village Kotuli in district Almora. It was translocated in the ‘Himalayan Village’ open-air exhibition premises of the Indira Gandhi Rashtriya Manav Sangrahalaya, Bhopal, as an exhibit in September 2016. Sri O. P Kohli, His Excellency, the then Governor of Madhya Pradesh inaugurated the exhibition and opened for the public.