लिकिर की कुम्हारी परंपरा (लद्दाख)
क्षेत्रः लिकिर
जिला: लेह
राज्य/केंद्र शा. प्रदेश: लद्दाख
लिकिर- श्रीनगर हाईवे पर बसा पारंपरिक कुम्हारों का एक गाँव है जहां अभी भी मिट्टी के बर्तन सक्रियता से बनाये जाते है| स्थानीय लोगों के अनुसार राजा ड्रेग्सपा बम्दल (14वीं शताब्दी) के शासन काल में गाँव के लोगों को शाही तथा आम जन उपयोगी बर्तन बनाने का कार्य सौंपा गया| इस समय बाकी अन्य कोई सामग्री प्रचलित नहीं थी अतः मृदभांड बड़ी मात्रा मे इस्तेमाल किये जाते थे| इसलिए पूरा गाँव ही पॉटरी बनाने मे लगा रहता था| तभी से पॉटरी निर्माण लिकिर लोगों की आजीविका का व्यवसाय बन गया| अब पूरे लद्दाख मे लिकिर ही एक मात्र ऐसा गाँव है जहाँ पॉटरी निर्माण होता है| पूर्व मे मिट्टी के अधिकांश सामान सादा और अलंकरण से रहित होते थे क्योंकि विपन्न लोग उन्हे (महंगी) वस्तुओं पर व्यय नहीं कर पाते थे| पॉटरी के भव्य और सजावटी सामान शाही और आभिजात्य लोगों के लिये आरक्षित थे| समय के साथ लोगों की मांग और परिस्थिति मे बदलाव आया| लोगों की जरूरत के मुताबिक कई चीजें पुनः आकारित और गढ़ी गई| वे ज़्यादातर घरेलू उपयोग के साथ-साथ अनुष्ठाणिक उद्देश्यों से निर्मित हुई|
चरचंग (छोटा दीप), स्पोस्चक्सस (धूपदान), चैंबिंग (टोटीदार घड़ा), संग्सपोर (स्टैंड सहित धूपदान), शंगंकग (संग्सपोर रखने के लिए बर्तन), थक्स (मिट्टी का मुखौटा), नम्संग (आयातकार दीप) आदि ऐसी वस्तुएं है जिनका प्रयोग पूजा-प्रार्थना में घरों के साथ-साथ मठो में किया जाता है। जबकि पोंग्पा (फूलदान), टिबरिल मेस्लांग (अंगीठी के साथ टोंटीदार केतली), जोबकार (छाछ मथने का एक बड़ा बर्तन), जिम (छांग बनाने के लिए पात्र), काकादर (थुपका बनाने के लिए एक बड़ बर्तन), अलचे (दही जमाने के लिए खुले मुंह का बर्तन), रिक्जा (छांग रखने के लिए सुराही), स्केन (छांग परोसने के लिए टोंटीदार मटकी), जक्टाल (आटा गूंथने का बर्तन), गग्मा (थुपका खाने के लिए एक उथला बर्तन), छाजलुक (नमक रखने के लिए बर्तन), छुसाक्स (पानी भरने के लिए बर्तन), कोर्टेक्स (ढक्कनदार कटोरा स्टैंड सहित), आलचे (दही जमाने के लिए ढक्कनदार बड़ा बर्तन) आदि ऐसे बर्तन है जिनका प्रयोग दैनिक घरेलू उपयोग के साथ शादी/विवाहों और त्यौहारों में किया जाता है। स्किन (छोटे पालतू पशुओं की आकृति), इचु (पक्षी आकृति) आदि ऐसी वस्तुऐं है जिनका प्रयोग साज-सज्जा के अतिरक्ति बच्चों के खिलौनों के रूप में किया जाता है।
POTTERY TRADITION OF LIKIR (LADAKH)
Area: Likir
District: Leh
State: Jammu and Kashmir
Likir is a traditional potter’s village situated on Leh-Srinagar highway where pottery is still actively practiced. According to the local people, during the reign of King Dragspa Bumdle (14th century A.D.) the villagers were assigned to make pottery for royal as well as general public purposes. During this time, the earthenwares were used on a large scale since no other materials were introduced. Thus, the entire village was engaged in pottery making. Since then pottery making became an occupation for the livelihood of Likir people. Now Likir is the only village in the entire Ladakh area where pottery manufacturing takes place. In the past, majority of the pottery items were plain and devoid of much decoration since people were poor and couldn’t afford luxurious ones. The exquisite and decorative items of pottery were reserved for the Royals and the Elite. Along the path of time, demands and situations of people have changed. Many things have been redesigned and created according to the need of the people. They are mostly prepared for household use as well as ritual purposes.
Churcung (small Lamp), Sposchukches (incense stand), Chambing (spouted pitcher), Sangspor (Bowl on stand for pouring incense), Sangkung (pot for holding Sangspor), Thuks (Terracotta Mask) and Nakscung (rectangular shaped lamp) are the items used for worship in house as well as in monasteries whereas Pomgpa (Flower vase), Tibril Meslang (Spouted Kettle with hearth), Zobkar (big vessel for churning butter milk), Zim (Spouted pitched for preparing Chang), Kakadur (big bowl for preparing Thukpa), Alche (open mouthed bowl for preparing curd), Rikza (Chang container having narrow neck), Scan (Spouted pitcher for serving chang), Jaktal (big bowl for kneading flour), Gagma (a shallow bowl for eating thukpa), Chajlook (a pot for keeping salt), Chusaks (pot for storing water), Kortex (lidded bowl with stand for butter tea) and Alche (big bowl with lid for preparing curd) amongst others are used as household items in day to day use and during marriage ceremonies and festivals. Skin (small wild animal figures), Zo (small domestic animal figures) and Ichu (bird figures) are decorative items also used as toys for children.