तटीय गाँव
संग्रहालय की तटीय गाँव प्रदर्शनी भारत के लगभग साढ़े सात हजार किलोमीटर लंबे समुद्र तट से लगे क्षेत्रों में निवासरत मानव समुदायों के सांस्कृतिक वैविध्य की कहानी कहती है। 25 मई, 1992 को उद्घाटित इस प्रदर्शनी में भारत के तटीय क्षेत्रों में निवासरत समुदायों के कुछ चयनित आवास प्रकारों के माध्यम से एवं उनकी संस्कृतियों के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है। तटीय पर्यावरण की पृष्ठभूमि सृजित करने के लिए इस प्रदर्शनी को संग्रहालय परिसर के भोपाल की प्रसिद्ध बड़ी झील से लगे लगभग 20 एकड़ के क्षेत्र में विकसित किया गया है। इस प्रदर्शनी के प्रमुख आकर्षण केरल से संकलित लोहे की कील के उपयोग बिना निर्मित लकड़ी के मकान नालुकेट्टू तथा अराप्पुरा, नारियल के पत्तों से बनी मछुआरों की बस्ती एवं उनकी नाव, ओडिसा के गंजाम जिले से मछुआरों का पारंपरिक आवास मिर्धाबाड़ी, केरल से संकलित लगभग 110 फीट लंबी सर्पनौका, भद्रकाली अम्बलम मंदिर तथा आन्ध्रप्रदेश से मछुआरों का पारंपरिक आवास गुड़ीसा हैं। समय-समय पर उत्सव एवं मेले, कलाकार कार्यशालाएं, प्रस्तुतिकारी कलाओं के कार्यक्रम आदि प्रदर्शनी को जीवन्तता प्रदान करते हैं। लगातार संवाद और गतिशीलता के लिए प्रदर्शनी में भिन्न तटीय क्षेत्रों और समुदायों की सांस्कृतिक विशेषता और प्रस्तुतीकरण जोड़े जाते रहेंगे और यह स्थायी प्रदर्शनी निरंतर समृद्ध होती रहेगी।
Coastal Village
The Coastal Village exhibition of the Museum tells the story of the cultural diversity of communities living in India’s nearly seven and a half thousand kilometer long coastline. The exhibition was inaugurated on May 25, 1992. In this exhibition an attempt has been made to showcase the cultue of the communities living in the coastal areas of India through their few selected house types. To create a backdrop of the coastal environment, this exhibition has been developed in an area of about 20 acres in the museum complex on the bank of famous Upper Lake of Bhopal. The main attractions of this exhibition are Naalukettu and Arappura, wooden houses built without the use of iron nails collected from Kerala, Fishermen’s settlement made of coconut leaves, Mirdhabari, the traditional abode of fishermen from Ganjam district of Odisha, about 110 feet long Snake Boat collected from Kerala, Bhadrakali Ambalam temple and Gudeessa, the traditional abode of fishermen from Andhra Pradesh. Fairs and festivals, workshops, programme of performing art presentation gives vitality to the exhibition. Cultural characteristics and presentations from communities living in coastal areas will be added continuously to maintain the dialogue with them and to enrich the exhibition.