स्मृति स्तंभ (बाईसोन मारिया जनजाति का समर्पण)
जनजाति/समुदायः बिसोन हार्न मारिया
गाँव/जिलाः सुमोपारा गाँव एवं बस्तर, छत्तीसगढ़
इस काष्ठीय पारंपरिक स्मृति को छत्तीासगढ़ के बस्तर जिला में बाईसोन हॉर्नमारिया जनजातियों के बिच स्थानीय रूप में मुंडा नाम से जाना जाता है । जिले के पश्चिमोत्तुर में रा. जनंदगांव, उत्तनर में कोंग्डा गाँव जिला, पूर्व में नाबरंगपुर दक्षिण में ओडिसा का कोरापुत जिला, दक्षिण-पश्चिम में दंतेवाड़ा जिला एवं पष्चिम में महाराष्ट्र का गढ़चिलोरी स्थित है। अंतर्विवाही जनजतीय समुदायों में से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। काष्ठीय स्मृति स्तम्भ जनजातियों में महत्वपुर्ण नेताध्सरदारध्सरपंच के जीवन वृत और उपलब्धियों का बखान उनकी मृत्यु पश्चातत निर्मित काष्ठिय स्मृति स्थम्भ के रूप में कर रहा है। काष्ठीय स्मृति स्तम्भ जनजातियों के बिच मनोभावों की अभिव्यक्ति का एक प्रतीक है। आमतौर पर इस प्रकार के स्तंभों का निर्माण समाजध्समुदायों के प्रतिष्ठित पक्तियों की स्मृति में दिवंगत के पारिवारिक सदस्यों द्वारा कराया जाता है। प्रस्तुत स्थम्भ का निर्माण बस्तर के ’बस्तनाद’ गाँव के ’’पंडा सरपंच’’ की स्मृति में कराया गया था। धीरे-धीरे अब इस प्रकार के स्तम्भों का स्थान पत्थर से निर्मित स्तम्भ ले रहे हैं अतः यह एक दुर्लभ प्रादर्श है एवं जनजातियों में करीब-करीब विलुप्ति के स्थान पर है।
ये स्तम्भं उमदा सागोन की एकल लकड़ी पर निर्मित किया गया है एवं आयताकार स्तंभ के चारों भागों पर सुन्दर नक्काशी की गई है जिसका प्रत्येक भाग अलग-अलग क्रियाकलापों से संबंधित विविध आकृति रूपों को निरूपित करता है। स्तम्भ का पहला भाग जहाँ पशु-पक्षियों की आकृतियों से निरूपित है वही दूसरे भाग पर उनके कृषि व आर्थिक जीवन से जुड़े चित्र जैसे खेत, जूताई, उपज ले जाना इत्यादि है। तीसरे भाग पर विभिन्न क्रियाओं से संबंधित कुछ मनोहारी चित्र हैं वही चौथा भाग उनकी पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य एवं संगीत को समर्पित है। इस स्तम्भ की उंचाई 12 फीट है। इस काष्ठीय मुंडाध्खंबाध्स्तंभ का मूल उद्देश्यक मृत्यु उपरांत किये जाने वाले रीति रिवाज एवं अनुष्ठानो को जारी रखना है। ये महज शिल्प ही नहीं है अपितु जनजातीय सामाजिक परिवेश की गहन भावनाओं से जुडा है। इसीलिए ये आवश्य्क है कि इस प्रकार के इतिहासों को मानवजातीय संग्रहों द्वारा संग्रहालयों में भावी पीड़ी के लिए भली प्रकार से संरक्षित किया जाये। सामाजिक-सांस्कृतिक लोकाचारों एवं जनजातियों की रचनात्मकता को प्रस्तुत करने वाले अधिकांश काष्ठ निर्मित जनजातीय प्रादर्श शीघ्रता से विलुप्त होते जा रहे हैं। हमें ये समझना अति आवश्यशक है कि किसी संस्कृति, समुदाय, समाज का विलोप होना उस समाज समुदाय विशेष का स्थाई विनाश है। काष्ठीय स्मृति स्तम्भ श्श्मुंडाश्श् जनजातीय ऐतिहासिक गाथाओं के बखान का एक समर्थ एवं महत्वपूर्ण माध्यम माना गया है। वर्तमान प्रादर्श इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल के मुक्तााकाश प्रदर्शनी के जनजातीय आवास में संजोया गया है।
Memorial pillar (A silent voice of bison)
Tribe/Community: Bison Horn Maria
Village: Sukopara village and Bastar, Chhattisgsrh
Traditional wooden memorial pillar locally known as MUNDA among the Bison Horn Maria trides of Bastar District in Chhattisgarh. The District is bounded on the northwest by Rajnandgaon District on the north by Kondagaon District, on the east by Nabarangpur and koraput District of odisha state on the south and southwest by Dantewada District, and on the west by Gadchiroli District of Maharashtra state. The Bison Horn Maria on of thee endogamous tribal community plays a significant role in the tribal culture of Bastar. The wooden memorial pillar is dipicting an important Tribal leaders life history and their achievements in the form of wooden memorial pillar erected after death. The wooden memorial pillar is a symbolic association for expressing the ethnic sentiment, such pillars are usually erected in The memory of famous personalities of the society, community by the family members of the deceased. This pillar was made in the in the memory of PANDA SARPANCH of BASTNAD village of Bastar now such pillars heve gradually been replaced by stone. Therefore, this pillar has become a rare object and more or less become extinct in the tribal societies. The pillar is made of a single log of fine teakwood (Tectna grandis) heving carvings on all four sides of a rectangular pillar, each portion describes different figurative works relating to verious activities, the first portion of the pillar contains the images of birds and animals whereas the second portion is carved with the images related to their agro economic life i.e ploughing, carrying produce etc. The third portion having some magical figures describes different activities the fourth portion of the pillar is completely dedicated to dance and music in their traditional attire.The height of the pillar is 12ʹ. The very purpose of the wooden pillar (Munda/Khambha/Stambha) remain interwoven with rites and rituals connected with death ceremonies. They are not mere crafts but also carry depper meanings associated with tribal social milieu. Hence, the must be well preserved in the museums through ethnographic collections for future generations. Most of the tribal woodenobjects, which represent the socio cultural ethos and creativity of the tribes are fast disappearing. We must understand that the loss of a culture of a group of a people is a permanent loss of a particular society or community. The wooden memorial pillar “MUNDA” hes been considered on of the potential and important medium of expression of tribal historical narratives.