माउ-बु-खार: मेघालय के पुनीतवन
माउ-बु-खार, मेघालय के माउफलांग क्षेत्र के खासी जनजाती का एक पुनीत वन है तथा पवित्र पत्थर उनके देवता का स्वरूप है। पुनीत-वन, मेघालय के लोगों के दैनंदिन जीवन व संस्कृति का हिस्सा है। पारंपरिक मूल्य के तेजी से होते क्षरण के बावजूद कई पुनीत वन आज भी सुरक्षित हैं। मान्यता है कि इन पुनीत वनों में देवता और पुरखों की आत्मा निवास करती है। ऐसे अनेक पुनीत वन, पूर्वी खासी जिले की पहाड़ी चेरापुंजी क्षेत्र मे स्थित है। शिलांग के निकट स्थित माउफलांग वन तथा चेरापूॅंजी के निकट माउसर्माइ वन उत्तर-पूर्वी भारत के कुछ प्रसिद्ध पुनीत वनों मे से एक है। लोगों के बीच यह विश्वासहै कि यहां लगे पड़ों की लकड़ी, छाल, पत्ती आदि कुछ भी यहां से बाहर ले जाई गयी तो इस से यहां रहने वाले देवता रूष्ट हो जायेंगे तथा लोगों को विपदाओं का सामना करना होगा।
Maw-bu-khar : Sacred groves of Meghalaya
The Maw-bu-khar is the sacred grove of the Khasis of Maw Phlang area, and the sacred stone pillars represent Khasi Gods Sacred groves have been a part of the life and culture of the people of Meghalaya. Many sacred groves are still well protected, in spite of rapid decline in the traditional value system. The traditional religious belief is that the Gods and spirits of ancestors live in these groves. A large number of groves are located in the Cherrapunji region of the east Khasi Hill District. The Mawphlang grove, close to Shillong town, and the Mawsmai grove in Cherrapunji are some of the famous groves in the Northeast India. Traditionally, people around these groves believe that removal of plants or plant parts would offend the ruling deity, leading to local calamities.