’’“सुन्नापुगनुगु” ’’
(चूना बनाने का पारंपरिक उपकरण)
समुदाय: लोक
ग्राम: वोम्पिल्ली
जिला: विजयनगरम
राज्य : आंध्रप्रदेश
चूने के पत्थर को पीसने और चुनाई (जुड़ाई) हेतु चूना मिश्रण बनाने का एक पारंपरिक यांत्रिकी उपकरण है। नाली के आकार का 11 फिट वृत्ताकार मार्ग कोंडालाईट पत्थरों से निर्मित है जोकि अपनी अधिक भाररोधक क्षमता के कारण सर्वोचित समझे जाते हैं यह वृत्ताकार मार्ग 1 फिट गहरा व 1 फिट चौड़ा है। इसका पीसने का मुख्य पत्थर (सुननापुराई) बलुआ पत्थर से बना है एवं लगभग 350 से 400 किलोग्राम बजनी है। इस गोलाकार पहिये नुमा पत्थर को स्थिर बनाये रखने के लिए मध्य में एक चौकोर छिद्र है यह घुमने हेतु पोलुकर्रा नामक लकड़ी की धुरी से जुड़ा होता है। पत्थर से बना मार्ग स्थाई सिल/शिला होती है। उत्तर तटीय आंध्रप्रदेश के ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में पक्के आवास इसी पद्धति से तैयार किये गए हैं। एक समय पर यह कुटीर उद्योग व्यापक पैमाने पर फैला था जिसके संचालन में महिलाओं की अधिक भूमिका थी।
इस विधि के द्वारा निर्मित चुनाई में प्रयुक्त मिश्रण एक सयोजक है। ईटों व पत्थरों की जुड़ाई फर्श तैयार करनें, छबाई करनें और सजावट के कार्यों में इसका उपयोग होता है। चूने के मिश्रण से बने आवास बदलते मौषम के अनुरूप सामान्य वातावरण बनाये रखते है और इन आवासों की आयु 300 से 500 वर्ष होती है। चुनाई का मिश्रण बनाने की प्रक्रिया में जला हुआ चूना पत्थर रेत, पानी और कुछ स्थानीय वनस्पति जैसे कलाबंद (ग्वारपाठा) कर्रककाया (हर्रा बीज) बेल फल वृक्ष की गोंद व गुड़ को मिलकर उपयोग किया जाता है। इस ओखली का संचालन प्रायः पशु बल के द्वारा किया जाता है। आंध्रप्रदेश की ग्रामीण जनसंख्या के बीच लोकप्रिय यह एक पारंपरिक एवं अत्यंत सरल तकनीक है।
“Sunnapuganugu”
(A traditional lime-mortar making device)
Community: Folk
Village: Vompilli
District: Vizianagaram
State: Andhra Pradesh
“Sunnapuganugu” is a traditional mechanical device for grinding lime stone and making lime binding material. It is a 11 fit round stone track pit built by Khondalites stone pieces which is considered to be most suitable for this track pit having heavy weight resistance. The track is 1fit deep and 1 fit wide throughout the circular route. The main crushing roller sunnapurai is made of sand stone and weight around 350 to 400 kgs. The round stone wheel has square-shaped hole at the centre for proper fixation. It is attached with a wooden axle Polukarra in the running motion. This stone track is a permanent mortar base. Most of the permanent houses are constructed by their mortar prepared by this method in the rural villages of North Coastal Andhra Pradesh. Once upon a time it was a flourishing industry which involved women in more number for operating this.
The lime mortar prepared by method is a composite binding material. It can be used for joining of bricks, stones, flooring, and plastering and decoration purpose. According to the changes in weather the lime mortar constructed houses respond to maintain normal condition and also the life span of houses made with this are also very high i.e. 300 to 500 years. The process of lime binding material is mixed with fired lime stone, sand, and water and added with local herbal ingredient like Kalabanda (Aloe Vera), Karakkarya (Harra), bael fruit, tree gum and jiggery. The entire mortar is operated by animal power mostly oxen. It is a traditional and simple technology popular among the rural population of Andhra Pradesh.