’’रहट‘‘
(सिंचाई का पारम्परिक उपकरण)
समुदाय : लोक
जिला : भिंन्ड
राज्य : मध्य प्रदेश
प्राचीन समय में “रहट” मुख्तः देश के मैदानी क्षेत्रों में सिंचाई की बहुत महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली तकनीक थी। “रहट” कुंए से पानी निकलने की मानव की तकनीक है। यह पूर्णरूपेण लोहे से बनी होती है। एक बड़ी छड़ के साथ लोहे का एक बड़ा पहिया लगा होता है। एस प्रकार की संरचना वाला पहिया जिसमें वैकल्पिक दूरी पर कई छोटी–छोटी बाल्टियां लगी होती हैं, कुंए की पाट पर रखी लकड़ी की संरचना के सहारे कुंए में डुबोया जाता है। बड़ा पहिया दांतेदार छोटे पहिया के साथ लकड़ी की धुरी से जुड़ा होता है जिसके द्वारा बैलों का जोड़ा इसे खींचते हुए वृत्ताकार मार्ग में घूमता है। बैलों के घूमनें के परिणाम परिणामस्वरूप पहये भी घूमते हैं जिससे बाल्टी पानी के अन्दर जाती हैं तथा कुए की दीवार के सहारे पानी को नहरों में उड़ेल देती हैं।
“Rahat”
(A traditional equipment of irrigation)
Community: Folk
District: Bhind
State: Madhya Pradesh
In olden days “Rahat” was most important and effective technology for irrigation mostly in the plain areas of the contry. “Rahat” is a technology of man power for lifting water from well. It is completely made of iron. There is big wheel of iron fitted with a rod. This structured wheel in which small iron buckets are fixed at alternative distance is put inside the well through the wooden structure at the mouth of the well. The bigger wheel is attached to a small teethed wheel which is again tied with a long wooden pole through which a pair of oxen pulls it in circle motion. As a result of moving of oxen in the circle the wheel rotates and the bucket ring dip into the water and throw it the cannels meant with the wall of the well.