नीम की धाणी
राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में गांव की मुख्य बस्तियां (आबादी) और घर (धाणीयां) हमेशा कृषि भूमि के करीब स्थित होती है। आवास प्रकार की संरचना का जलवायु की परिस्थितियों से भी निकट सम्बंध होता है। राजस्थान में गर्मी की अधिकता और सर्दियों में काफी ठंडक होती है। इस कारण घरों के निर्माण में स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग जलवायु के अनुरूप ही किया जाता है।
आवास के सामान्य स्वरूप को स्थानीय भाषा में “झोपा” कहते हैं जो कि एक गोलाकार झोपड़ी होती है और जिसमें छज्जे वाली छत होती है। झोपा स्वतंत्र रूप से अकेला या एक संकुल के रूप में भी देखा जाता है। नीम की धाणी नामक यह प्रादर्श ग्रामीण राजस्थान के पारंपरिक आवास प्रकार का प्रतिरूप है। नीम की धाणी, जैसलमेर का यह आवास राजस्थान के राजपूत समुदाय के सदस्यों द्वारा प्रदर्शनी में स्थापित किया गया है।
छोटी-छोटी इकाइयों से मिल कर बने इस आवास संकुल में जालीयुक्त कोठा अर्थात बैठक कक्ष की स्थिति केंद्रीय होती है। जिससे जुड़ा महिलाओं के लिए छोटा सा कक्ष “कुड़” तथा एक अन्य अतिथि कक्ष “चौहारा ओत्तारा” होता है। “कोठा” के बायीं ओर रसोई के रूप में एक अन्य कुड़ तथा नववधु के लिए निर्मित कक्ष “चौहारा” होता है।
अनाज भंडारण के उद्देश्य से बाहरी दीवार के साथ दोनों ओर निर्मित “बखारी” या ‘झुम्पी’ इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के वास्तु और सौंदर्य बोध की स्वतः अभिव्यक्ति है। पत्थर और मिट्टी से निर्मित दीवारों की छत स्थानीय रूप से उपलब्ध “कैर” नामक लकड़ी तथा “मुरठ” घास से आच्छादित है।
NEEM KI DHANI
In rural Rajasthan main settlements (Abadi) and the hamlets (Dhanis) are always located close to the agricultural land. The use of different materials for building the houses mainly depends upon their local availability. The structure of house type is closely related to the climatic conditions. One of the most characteristic features of Rajasthan is the great extremes of temperature. The winter is quite cold and summer is very hot. The geography and the resultant climate determine to a large extent the use of the locally available material in the construction of houses and their structural detail.
The usual form of dwelling is locally known as ‘Jhopa’ that is a circular hut with thatched roof. We can find Jhopa either independently or in a complex form. The exhibit entitled “Neem ki Dhani” features the traditional form of dwelling brought from Neem ki Dhani, Jaisalmer itself and constructed by the members of Rajput community.
It comprises of several small units. “Kotha” the drawing room or living room is situated in the central position in the house, “Kud” is a small room for women and “Chouharaottara” is a small unit as guest room. Another “Kud” as kitchen and a chouhara, for new bride have been constructed subsequently.
“Bakhari” (Jhumpis) built for storing grains at both side of the boundary wall are the self expression of aesthetic and architectural sense of the communities residing in that area. The material used for walls is stone and mud (sand soil). Thatched roof is made of “Kair” wood and locally available grass “Murath”.