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करीन-Kareen

’’करीन’’

(सिंचाई का पारम्परिक उपकरण)

समुदाय : मल्लाह

ग्राम : शेरमा

जिला : मधुबनी

राज्य : बिहार 

बिहार राज्य के मधुबनी से संकलित एक पारम्परिक सिचाई का उपकरण है। वृक्ष के तने को नौका के आकार में खोखला किया जाता है, जिसका अग्र भाग सामान्यतः खुला व संकरा तथा पृष्ठ भाग चौड़ा व बंद होता है। संचालन हेतु इसे बाँस के तीन स्तंभो से बांधे एक लंवे बाँस- छेपटी के सहारे लटका दिया जाता है, छेपटी के एक सिरे पर कुछ बजन बांधा जाता है जो करीन को ऊपर-नीचे होने में सहायता करता है। सिंचाई के लिये इसे पोखर, नदी, नहरों इत्यादि पर रखा जाता है। पैर के दबाव के कारण करीन का पृष्ठ भाग पानी की गहराई में चला जाता है। इसके परिणम स्वरूप करीन का खोखला भाग पानी में चला जाता है। सिंचाई हेतु इसे अब भी उपयोग में लाया जाता है।

Kareen

(Traditional Irrigation Equipment)

Community:  Mallah

CVillage: Sherma

District: Madhubani

State: Bihar

‘kareen’ a traditional water lifting equipment collected from Madhubani district of Bihar. A wooden log is hollowed and shaped as a boat in which front portion is usually kept open and narrow where as the rear portion is broad and closed. When it comes in operation it is hanged through the Chhepati- a long bamboo which is tied with three bamboo poles. On one end of Chhepati some weighing is tied which helps Kareen to play up and down. For irrigation it is placed on the pond, Small River, canals etc. The rear portion of the Kareen is deepen into the water by pressure of foot. As a result the hollowed portion of Kareen is filled up with water and on pulling it upward the water followed through supply channel into agricultural fields. It is still in practice and use for irrigation purposes.