’’मईतई थुमसुंग- शंग’’ (पारम्परिक नमक निर्माण छपपर)
समुदाय – मईतई
जिला- थोबल,
राज्य- मणिपुर
मणिपुर में पानी को वाष्पीकृत कर नमक बनाने की पारम्परिक तकनीक में सामाजिक मूल्य, आदर्श और सांस्क़तिक प्रतिमान सन्निहित है। अपने उपयोग की प्रक़ति के अनुसार यह पांच विभिन्न आकार की तश्तरियों के रूप में तैयार किया जाता है। स्थानीय रूप से ‘’मईमई थुम्पाक’’ के नाम से ज्ञात यह नमक की टिकिया केवल घरेलू खपत ही नहीं बल्कि सामाजिक संस्कारों और अनुष्ठानों में भी प्रयोग की जाती है।
मईतई लोगों का विश्वास है कि नमकीन झरने एक देवी थुम लाईरेयबी जो कि प्राक़तिक संसाधनों की दात्री है के द्वारा संरक्षित है। मईतई नमक पारम्परिक रूप से महिलाओं के द्वारा ’’थुमसुंग-शंग’’ नामक छप्पर के नीचे तैयार किया जाता है। यह छप्पर पारम्परिक तरीके से तीन तरफा दीवार तथा नमक के सहज वाष्पीकरण हेतु बहु छिद्र युक्त अधोमुखी चूल्हे के साथ तैयार किया जाता है। प्राक़तिक झरने से प्राप्त नमकीन या खारे पानी को काष्ठ निर्मित पात्र (थुम उक्राँग) में जमा किया जाता है। इसे लोहे के एक पात्र में वाष्पीकृत किया जाता है तथा वाष्पीकृत गाढ़े व भुरभुरे नमकीन चूर्ण को तब पर फैलाकर टिकिया के रूप में जमाया जाता जिससे नमक प्राप्त होता है।
“Meitei- Thumsung-Shang”
(Traditional salt making shed)
Community: Meitei
District: Thoubal
State: Manipur
The traditional technique of evaporating salt in Manipur is deeply endorsed with culturally assigned norms and social values. It is prepared in the form of a circular plate with five different sizes according to the nature of their uses. This traditional salt cake is locally known as Meitei Thumpak is used not only for domestic consumption but also for social ceremonies and rituals.
Meitei believe that the site of salt spring is an abode of the goddess – “Thum Lairembi” who is the giver of these natural resources. Meitei Salt is traditionally prepared by women under a shed called “Thumsung-Shang”. The shed is traditionally designed with three sided wall and a longitudinal hearth (Leirang) with multiple hole for convenient use of evaporating salt. By collecting salt water from the site in a wooden reservoir (ThumUkrong)it is evaporated on the pan and shaped like plates from the crystal powder. Shaping is executed at the rear holes of the longitudinal hearth by using traditional tool called Chiled (a brass made device).